The Author Urmi Chauhan Follow Current Read गुमनाम - 1 By Urmi Chauhan Hindi Detective stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books Conflict of Emotions - 14 Conflict of Emotions (The emotional conflict of a girl towar... Wings of Tomorrow - 12 Chapter 12:- School day 1Part 1The morning sun streamed brig... THE BOY WHO LOVED IN SILENCE - 7 The First Look, The First StepShe stood near her classroom,... BACKROOMS : THE ORIGIN - 3 "Sir i can explain that atleast please hear me for a second... My Paranormal Incidents - 4 Chapter 4. Someone close to me I was in 8 or 9th grade when... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Urmi Chauhan in Hindi Crime Stories Total Episodes : 4 Share गुमनाम - 1 (12.5k) 6.6k 22.6k 6 आज रवि बहोत खुश नजर आ रहा था। उसका घर लाइट ओर गुब्बारों से सजा हुआ था। सब काम मे व्यथ थे।लगता है आज कोई खास बात है।दरसल आज रवि ने जन्मदिन है।आज वो पूरे 8 वर्ष का हो चुका था। उसके माता और पिता उसे भी ज्यादा खुश नज़र आ रहे है। माता सुनैना ओर पिता सुरेश को रवि बहोत प्यारा था। सादी के 5 में उसकी कोई संतान नही हुई। दोनो ने बहोत दवाई करवाई। दुआए की। मानते मांगी कर कोई असर नही हुआ। दो नो तो उम्मीद ही खो चुके थे। परंतु ईश्वर भी बहोत दलायु है। दोनों पर दया की को रवि तो उनकी गोदी में डाल दिया। सुरेश एक सरकारी कार्यलय में काम करता था। स्वाभव में बहोत सरल था। किसी की बातों में आराम से आ जाये। सभी की मदद करता। किसि से जागड़ा या दुश्मनी का तो सवाल ही नही था। ऐसी बातो से वो दूर रहता था। अपने काम से ही काम रखता था। घर से कार्यलय ओर कार्यलय से घर बस यही उसकी दिनचर्या है।सुनैना घर संभलती ओर बचे के साथ पूरा दिन खेलती। घर बड़ा था।घर के सामने एक बगीचा था । वहां माता और रवि शेर करने के लिये जाते और खेलते। उसे ही उनका दिन बीतता।रवि 8वी कक्षा में पढ़ता है। रवि के जन्मदिन की पार्टी की तैयारी पूरी हो चुकी थी। उसके सारे दोस्त और कुछ खास रिस्तेदारो ओर पड़ोसियों को आमंत्रित किया था। पार्टी का समय हो चुका था। सारे मेहमान आ चुके थे। पार्टी में गाने बज रहे थे। सब एक दूसरे के साथ बाते कर रहे थे। रवि के जन्मदिन के केक काटने का समय आ गया था। सब टेबल के आसपास इक्कठे हुआ। रवि ने केक काटा। पहले उसने मम्मी ओर पापा को खिलाया। बाद में दुसरो को।सभी ने रवि को बहोत सारी जन्मदिन की बधाई दी। रवि को बहोत सारे उपहार भी मिले। सभी बहोत आनंद से पार्टी में डांस कर रहे थे। पार्टी बहोत लाबी चली। रात के 11 बज चुके थे ।पार्टी समाप्त हुई। सभी मेहमानों ने विदाई ली। रवि भी बहोत थक चुका था। वो कपड़े बदल के सोने चला गया। रवि की मम्मी ने उसके पापा को भी कपड़े बदल के सोने को कहा। उसके पापा भी सोने चले गए। उसकी मम्मी को थोड़ा काम था। वो काम कर के सोने चली गई। रोज सुनैना जल्दी उठ जाती है।लेकिन पार्टी की थकान की वजह से आज उठाने में देरी हो गई। उसने घड़ी देखी तो देर हो चुकी थी। उसने जल्दी से सुरेश को उठाया और जल्दी से कार्यलय के लिए तैयार होने को कहा। वो कीचन में गई और नास्ता बनाने लगी। रवि को भी स्कूल जाना था। उसने बाद में रवि को उठाने के लीये उसके रूम में गई। उसने देखा तो रवि वहा नही था। उसके बाथरूम देखा वहाँ भी नहीं था। फिर नीचे गई पूरा घर मे ढूढ पर वो कही नही मिला। वो गभरा गई। उसने उसके पापा को बताया कि रवि कही नही मिल रहा पता नही कहा गया होगा। उसके पापा के कहा कि यही कही होगा । खेल रखा हो गा। अच्छे से देखो। रवि की माँ ने सभी जगह देखा पर वो नही मिला। अब तो उसके पापा भी चिंता करने लगे।दोनो ने घर के सामने जो बगीचा था वहां जाके देखा। दोनो अब पूरी तरह चिंता के है। आसपास पड़ोसियों से पूछा पर कोई खबर न मिली। एक दूसरे के ओर एक डर के साथ देख रहे थे। समज नही आ रहा था क्या करे.. रवि कहा गया है..? क्या वो फिर से मिलेगा..? उसके साथ क्या हुआ ..? इन सब प्रश्न के उत्तर में आपको अगली कहानी बताऊँगी। › Next Chapter गुमनाम - 2 Download Our App